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बुजुर्ग अनुभवों का खजाना हैं, उन्हें उपेक्षित न करें

Posted on July 18, 2019July 18, 2019 by Author
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यह बात बिलकुल सत्य है कि बड़े बुजुर्ग अनुभवों का खजाना होते हैं। ये जीवन के कठिन मोड़ पर मार्गदर्शक बनकर हमारा साथ देते हैं। परिवार के बुजुर्ग लोगों की श्रेणी में नाना-नानी, दादा-दादी, सास-ससुर आदि आते हैं। बुजुर्ग घर की शान होते हैं तथा उन्हें अपने आप ही मुखिया का दर्जा प्राप्त होता है, इसलिए ये छोटों द्वारा की जाने वाली गलतियों को नजरअंदाज न करते हुए उसमें हस्तक्षेप करते हैं और सही व गलत का आइना दिखाते हैं। बुजुर्गों का जीवन अनुभवों से भरा पड़ा है, उन्होंने अपने जीवन में कई धूप-छाँव देखे हैं जितना उनके अनुभवों का लाभ मिल सके लेना चाहिए। गृह-कार्य संचालन में मितव्ययिता रखना, खान-पान संबंधित वस्तुओं का भंडारण, उन्हें अपव्यय से रोकना आदि के संबंध में उनके अनुभवों को जीवन में अपनाना चाहिए। ऐसा करने से वे खुश होते हैं और इसमें अपना सम्मान समझते हैं। बालगंगाधर तिलक ने भी एक बार कहा था, “तुम्हें कब क्या करना है यह बताना बुद्धि का काम है, पर कैसे करना है यह अनुभव ही बता सकता है।“



बड़े बुजुर्गों के साथ न होने से होने वाले नुकसान



आज के महँगाई भरे दौर में माता-पिता दोनों का कामकाजी होना अनिवार्य-सा हो गया है। ऐसे में बड़े बुजुर्गों के साथ न होने से बच्चे गंभीर प्रकृति के हो जाते हैं , या अनुशासनहीन हो जाते हैं, क्योंकि उनके साथ उनकी मन की बातें बाँटने वाला कोई नहीं होता।

एकल परिवार में माता-पिता बच्चों की छोटी-छोटी बीमारियों के लिए तुरंत डॉक्टर के पास भागते हैं। ऐसे में यदि बड़े बुजुर्ग साथ हों, तो वे ही छोटी-मोटी बीमारियों को घरेलू-नुस्खों से ठीक कर देते हैं।

अगर माता-पिता दोनों वर्किंग  हैं, तो उन्हें बच्चों को कहाँ छोड़े जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर बड़े बुजुर्ग साथ में ही हों, तो ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।





बुजुर्गों की देखभाल करने की कुछ युक्तियाँ

           बुजुर्गों के साथ अच्छा व्यवहार करें तथा उनके साथ समय बिताएं। जिससे वे स्वयं को अकेला न समझें।

उनकी सेहत का खास ध्यान रखें क्योंकि बुढ़ापे में भूख लगना कम हो जाता है जिससे कारण उन्हें अनेक बीमारियाँ घेर लेती हैं।

बुजुर्गों को प्रतिदिन योग व व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें जिससे कि वे शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से स्वस्थ रह सकें।

उन्हें स्वेच्छा से काम करने के लिए प्रेरित करें क्योंकि स्वेच्छा से कार्य करने वाले लोग सेहतमंद और खुश रहते हैं।

          
कभी-कभी उनके साथ बैठकर भी खाना खाएं क्योंकि ऐसा करने से उन्हें अपनेपन का एहसास होता है।

बड़े बुजुर्गों को उपेक्षित न करें

गाँव हो या शहर वर्तमान समय में हर जगह बुजुर्गों की उपेक्षा हो रही है। ये हमें पाल-पोस कर बड़ा करते हैं और जब इनको हमारी जरूरत होती है, तो उनसे दो पल बात करने का भी हमारे पास समय नहीं होता। हम अपने काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें भूल ही जाते हैं। हमें इनके अनुभवों से ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है, हमें इस विषय पर चिंतन मनन करना चाहिए और उन्हें अधिक से अधिक समय देना चाहिए। आइए इस सन्दर्भ में एक कहानी पढ़ें;

घनश्याम के परिवार में कुल पाँच सदस्य हैं। घनश्याम, उसकी पत्नी, उसके दो बच्चे और एक बूढ़ी माँ। एक दिन घनश्याम की बेटी एक आलेख पढ़ रही थी, जिसमें मेथी से मिलने वाले फ़ायदों के बारे में बताया गया था। बूढ़ी माँ बरामदे में चुपचाप बैठी थी। आलेख सुनकर बूढ़ी माँ के अतिरिक्त अन्य सभी लोगों ने अपने विचार रखें कि हम सप्ताह में मेथी का प्रयोग अधिक से अधिक करेंगे। बेटे ने मेथी के परांठे खाने की फरमाएश रख दी, घनश्याम ने मेथी का रायता और उसकी बेटी ने मेथी की सब्जी। परंतु बरामदे में बैठी बूढ़ी माँ का किसी को ख्याल न आया। न उनका, न खाने में उनकी पसंद-नापसंद का। लेकिन जब बाजार से मेथी आ गयी तो बारी आयी उसे काटने-छाँटने की, तो मेथी की पेरवी करने वाले बहाना बनाने लगे नौकरीपेशा पत्नी का सिरदर्द होने लगा और बच्चों को अपना कोर्स खत्म करने की बात याद आ गई।

हार कर घनश्याम ने बड़ी आशा से बरामदे में बैठी बूढ़ी माँ की ओर देखा। कम सुनने लेकिन सब कुछ समझने की आदी, बुजुर्ग माँ चुपचाप उठी और टोकरी में मेथी रखकर उसके पत्ते तोड़ने लगी। उनकी नजर बार-बार मेथी के उन डंटलों पर जाकर टिक रही थी, जिन्होंने अपने ऊपर पत्तों को सींचकर बड़ा किया था। इस बूढ़ी माँ की खामोशी बहुत कुछ कह गई, जिस माँ ने अपनी परिवार रूपी बगिया के पौधों को अपने खून पसीने रूपी खाद से सींचकर पल्लवित किया है, उस परिवार के लोगों के इस व्यवहार से उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँची थी ।

अतः हमें बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए और उनकी हर जरूरत का भी ध्यान रखना चाहिए।

किसी ने सच ही कहा है कि जिसके कंधे पर या सिर पर बुजुर्गों का हाथ होता है, वो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान होता है। इसलिए सदैव बुजुर्गों का सम्मान करें और उनकी हर जरूरत का ध्यान रखें क्योंकि हमारी सफलता के पीछे इनका ही हाथ है।

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